कार्य की आवश्यकता
चर्च की विश्व के ईसाईकरण की योजना के अंतर्गत अंग्रेजों के कालखण्ड में चर्च ने भारत में भी मिशनरीज के माध्यम से शिक्षा से वंचित, गरीबी में जीवन यापन करने वाले जनजाति समाज का चिकित्सा और सेवा के नाम का मुखौटा लगाकर धोखा और प्रलोभन देकर धर्मान्तरण का कार्य प्रारम्भ कर दिया था। राजस्थान के अनुसूचित जनजाति (वनवासी) बहुल जिले बांसवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ एवं उदयपुर में भी ईसाई पादरियों द्वारा एन.जी.ओ के माध्यम से प्राप्त विदेशी पैसों का लालच एवम् धोखा देकर जनजाति समाज (वनवासी) का धर्मान्तरण किया जा रहा था।
जनजाति बहुल इस क्षेत्र में नक्सलाइट गतिविधियां भी तीव्र गति से बढने लगी थी। अस्सी के दशक में ईसाई मिशनरीज एवं नक्सलवादीयों द्वारा राजस्थान राज्य के बांसवाडा, डूंगरपुर उदयपुर, प्रतापगढ, मध्यप्रदेश राज्य के रतलाम, झाबुआ, धार व अलीराजपूर एवं गुजरात राज्य के दाहोद, पंचमहल व छोटा उदयपुर जिलों (जनजाति बहुल जिले) में अलगाववाद का जहर घोल कर अलग भीलस्तान राज्य की मांग की जाने लगी थी।
राजस्थान के इस जनजाति बहुल क्षेत्र में चल रही इन अलगाववादी साजिशों को खत्म करने का लक्ष्य लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उस जनजाति (वनवासी) बन्धु की झोंपडी तक पहुंचने का निश्चय किया, जो वर्षो से आर्थिक एवं शैक्षणिक स्तर पर पिछडा हुआ था, और सामाजिक रूप से भी उपेक्षित था।
शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य, स्वालम्बन एवं ग्राम विकास के मूल मंत्र के साथ भारतीय जनसेवा प्रतिष्ठान राजस्थान द्वारा ग्रामवासियों की सहभागिता के साथ गांव-गांव में शैक्षणिक धार्मिक गतिविधियां संचालित करने के प्रथम चरण में वर्ष 1969 में बांसवाडा जिला केन्द्र पर जनजाति समाज (वनवासी) के छात्रों के लिए एक छात्रावास प्रारम्भ किया। 1972 मोहकमपुरा गांव में (ईसाई गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र) विद्यालय एवं छात्रावास प्रारम् किया और विजयदशमी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम बडे स्तर पर शुरू किया गया अ देखते देखते ही मोहकमपुरा गांव का रावणदहन आस पास के गांवों में काफी लोकप्रिय गया, और प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में हिन्दू समाज (अधिकतम जनजाति समाज) के स पुरुष बच्चे भाग लेने लगे ।
बांसवाडा जिले के घण्टाली गांव को केन्द्र बनाकर नक्सलवादियों द्वारा क्षेत्र में अलगाववाद की भावना फैलाई जा रही थी, इसलिये वर्ष 1981 में घण्टाली गांव विद्यालय व छात्रावास प्रारम्भ किया। वर्ष 1989 में नक्सलवादियों से संघर्ष हुआ, और उसके से ही नक्सलाइट गतिविधियों का यह केन्द्र बन्द हैं।